Poetry

  • व्यवसाय / Vyavasay

    टुटा जूता, फटा थैला, इकत्तीस तारिक को मेरा पतलून है मैला। घर में मैँ और दरवाज़े पे ताला, उधार के चक्कर में निकला मेरा दिवाला। द्वार पर हर दस्तक लगती है षडियंत्र का खेल मुझे, अपना घर ही अब लगता…

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